भारत में दहेज़ हत्या और क्रूरता से
महिलाओं को बचाने के लिए 1983 में IPC की धारा 498 को जोड़ा गया जिसका मुख्य उदेश्य
दहेज़ जैसी कुप्रथा और सामाजिक बुराई को दूर करना था | इस धारा के तहत महिला की एक
शिकायत पर किसी छानबीन के बिना कोई पुलिस अधिकारी उसके पति या घर के अन्य सदस्य के
खिलाफ कार्यवाही कर देते थे| इसलिए कुछ मामलों में यह धारा महिलाओं के लिए एक
हथियार बन गयी |
तो आईये जानते है की किस प्रकार इस
धारा का दुरुपयोग किया जा रहा है ;
भारत के न्यायालयों में आज भी कई केस
Pending पड़े हैं जिनमे यह माना गया है कि
महिला पक्ष ने इस धारा का दुरुपयोग किया है| घर के किसी भी झगड़े को दहेज़ प्रताड़ना
के मामले में परिवर्तित करना आसान हो गया है | महिला की एक शिकायत पर ही उसके
ससुराल पक्ष वालो को अभियुक्तों के तौर पर नामजद कर लिया जाता है और सभी
अभियुक्तों को जेल भेज दिया जाता है क्यूंकि यह एक गैर जमानती अपराध है | हालांकि
अब सुप्रीम कोर्ट ने सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है | नई गाइडलाइन के अनुसार अब
मामला पहले मोहल्ला समिति देखेगी और बाद में पुलिस को सुचना दी जाएगी |
कोर्ट ने नये फैसले में दहेज़ के
कारण और उत्पीड़न के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले आरोपों की पुष्टि के
लिए जिला स्तर पर परिवार कल्याण समिति भी बनाई है | न्यायलय का मानना है कि
निर्दोष व्यक्तियों के मानवाधिकारों की रक्षा होनी चाहिए और इस धारा का दुरुपयोग
रुकना चाहिए लेकिन कड़वा सच ये भी है कि दहेज़ प्रथा एक गंभीर सामाजिक बुराई है |