आज हम बात करेंगे धारा 377 के तहत सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर,जो 6 सितम्बर 2018 को सुनाया गया है जिसमें कहा गया है कि समलैंगिकता कोई अपराध नहीं है। समलैंगिकता को अवैध बताने वाली आईपीसी की धारा 377 की वैधता पर आज सुप्रीम कॉर्ट ने एक एतिहासिक फैसला सुनाया है।कोर्ट ने कहा कि LGBTQ समुदाय को भी समान अधिकार है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आईपीसी की धारा 377 को मनमाना करार देते हुए निरस्त कर दिया है।
सुप्रीकोर्ट ने कहा कि यौन प्राथमिकता पुरी तरह से बायोलॉजिकल और प्राकृतिक है इसमें किसी भी तरह का भेदभाव मौलिक अधिकारों का उलंघन होगा।
2 जुलाई 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने धारा 377 को असंवैधानिक करार दिया था इस मामले में पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था।
आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता अपराध थी और इसके लिए 10 साल या उम्रकैद का प्रावधान था।
What is LGBTQ?2 जुलाई 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने धारा 377 को असंवैधानिक करार दिया था इस मामले में पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था।
आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता अपराध थी और इसके लिए 10 साल या उम्रकैद का प्रावधान था।
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T-Transgender
Q-Queer/Questioning
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